साहित्य का इतिहास दर्शन

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Free Online Course: साहित्य का इतिहास दर्शन provided by Swayam is a comprehensive online course, which lasts for 15 weeks long. The course is taught in Hindi and is free of charge. Upon completion of the course, you can receive an e-certificate from Swayam. साहित्य का इतिहास दर्शन is taught by डॉ. प्रभात कुमार मिश्र.

Overview
  • साहित्य का इतिहास दर्शन पाठ्यक्रम को ज्ञान के विभिन्न अनुशासनों में स्वीकृति मिली है और इसे साहित्यिक अध्ययन के क्षेत्रों में आवश्यक प्रस्थान के बतौर पढ़ाया जाता रहा है। इस पाठ्यक्रम से छात्रों को - साहित्य के इतिहास में निहित विचारधाराओं और सिद्धांतों का परिचय मिलेगा, समाज के इतिहास और भाषा तथा साहित्य के इतिहास के अन्तःसम्बन्धों को समझने में मदद मिलेगी और साहित्येतिहास को केन्द्र में रखकर अनुवाद, पांडुलिपियों, लोकसाहित्य और लोकभाषाओं पर विचार करने का अवसर मिलेगा। इस पाठ्यक्रम का आरम्भ साहित्येतिहास की अवधारणा को समझने से होगा और फिर धीरे-धीरे साप्ताहिक मॉड्यूलों के माध्यम से साहित्येतिहास की विभिन्न दृष्टियों, पद्धतियों, समस्याओं और साहित्येतिहास लेखन की चर्चा की जाएगी। यह पाठ्यक्रम छात्रों को साहित्य और ऐतिहासिक कालखंडों, संदर्भों और सिद्धांतों के बीच के सम्बन्ध को स्पष्ट करने में उपयोगी होगा। इस पाठ्यक्रम को पूरा करने के बाद छात्र- साहित्येतिहास दर्शन के बारे में आलोचनात्मक समझ विकसित करने में सक्षम हो सकेंगें, साहित्येतिहास दर्शन और लेखन के बारे में अपनी स्वतन्त्र राय विकसित कर सकेंगे, साहित्य की विभिन्न परम्पराओं की निरंतरता और विच्छेद के कारणों को समझ सकेंगे और साहित्य की प्रवृत्तियों, विकास और परम्परा के विकास को ऐतिहासिक विकास के परिप्रेक्ष्य में रखकर देख सकने की क्षमता अर्जित कर सकेंगे। चूंकि यह पाठ्यक्रम हिन्दी भाषा माध्यम से ही उपलब्ध है इसीलिए छात्रों से हिन्दी भाषा का परिचय अपेक्षित है।

Syllabus
  • COURSE LAYOUT सप्ताह - 1 : पाठ्यक्रम का परिचय, साहित्य का इतिहास क्या है? साहित्य के इतिहास की जरुरत, साहित्येतिहास और साहित्यिकता
    सप्ताह - 2 :साहित्य के इतिहास की विधेयवादी दृष्टि, साहित्य के इतिहास की मार्क्सवादी दृष्टि, साहित्य के इतिहास की अन्य प्रमुख दृष्टियां
    सप्ताह - 3 : हिन्दी साहित्य का इतिहासलेखन - 1,हिन्दी साहित्य का इतिहासलेखन - 2, हिन्दी साहित्य का इतिहासलेखन - 3
    सप्ताह - 4 : साहित्य के इतिहास में कालविभाजन की जरुरत, हिन्दी साहित्य के इतिहास में कालविभाजन की जरुरत
    सप्ताह - 5 : साहित्य के इतिहास में कालविभाजन का आधार - 1, साहित्य के इतिहास में कालविभाजन का आधार - 2
    सप्ताह - 6 : हिन्दी साहित्य के इतिहासलेखन की समस्याएं, हिन्दी साहित्य के इतिहासलेखन पर पुनर्विचार (आदिकाल एवं भक्तिकाल),
    हिन्दी साहित्य के इतिहासलेखन पर पुनर्विचार (रीतिकाल एवं आधुनिककाल)
    सप्ताह - 7 : साहित्य का इतिहासलेखन और लोकभाषाएं, हिन्दी साहित्य का इतिहासलेखन और लोकभाषाएं, साहित्य का इतिहासलेखन और लोक साहित्य
    सप्ताह - 8 : हिन्दी साहित्य का इतिहासलेखन और हिन्दी-उर्दू समस्या - 1, हिन्दी साहित्य का इतिहासलेखन और हिन्दी-उर्दू समस्या- 2
    सप्ताह - 9 : रामचन्द्र शुक्ल की इतिहासदृष्टि - 1, रामचन्द्र शुक्ल की इतिहासदृष्टि -2
    सप्ताह - 10 : हजारी प्रसाद द्विवेदी की इतिहासदृष्टि - 1, हजारी प्रसाद द्विवेदीकी इतिहासदृष्टि - 2
    सप्ताह - 11 : नलिन विलोचन शर्मा की इतिहासदृष्टि - 1, नलिन विलोचन शर्मा की इतिहासदृष्टि - 2
    सप्ताह - 12 : रामविलास शर्मा की इतिहासदृष्टि - 1, रामविलास शर्मा की इतिहासदृष्टि - 2
    सप्ताह - 13 : नामवर सिंह की इतिहासदृष्टि - 1, नामवर सिंह की इतिहासदृष्टि - 2
    सप्ताह - 14 : नगेन्द्र की इतिहासदृष्टि, रामस्वरुप चतुर्वेदी की इतिहासदृष्टि
    सप्ताह - 15 : मैनेजर पाण्डेय की इतिहासदृष्टि, सुमन राजे की इतिहासदृष्टि , निष्कर्ष