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स्नातक स्तर के विद्यार्थियों के लिए ‘दृश्य-श्रव्य माध्यम लेखन’ का हिंदी भाषा में यह पाठ्यक्रम प्रस्तुत है। चार क्रेडिट का यह पाठ्यक्रम रेडियो, टेलीविजन और सिनेमा जैसे प्रमुख जनसंचार माध्यमों के विविध पक्षों पर केंद्रित है। यह कार्यक्रम दृश्य-श्रव्य माध्यमों की वर्तमान स्थिति, उसमें प्रस्तुति के तरीके, भाषाई प्रयोग और रचनात्मक लेखन विधा को ध्यान में रखते हुए निर्मित किया गया है। इस पाठ्यक्रम की संरचना को इस प्रकार तैयार किया गया है ताकि विद्यार्थी जनसंचार माध्यमों के बारे में मूलभूत जानकारी प्राप्त कर सकें। इस पाठ्यक्रम के माध्यम से आप विविध कार्यक्रमों के स्वरूप और उसमें अभिव्यक्ति के नानाविध प्रकारों को भलीभांति समझ सकेंगे। 40 वीडियो व्याख्यानों तथा सहायक अध्ययन सामग्री पर आधारित यह ऐसा सारगर्भित पाठ्यक्रम है जो आपको जनसंचार माध्यमों की मूल प्रकृति को समझने के साथ-साथ व्यवसाय निर्माण की दिशा में भी सहयोगी हो सकेगा।
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पहला सप्ताह - दृश्य-श्रव्य संचार माध्यमों के लेखन का परिचय और इसके प्रमुख प्रकार - दृश्य-श्रव्य संचार माध्यमों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि - रेडियो लेखन: व्याकरण एवं भाषाई प्रयोग दूसरा सप्ताह - दृश्य माध्यमों की भाषा - भारत में सिनेमा: एक सदी का सफ़र - माध्यमों की बदलती भाषा तीसरा सप्ताह - मानक उच्चारण - भाषा का वैयक्तिकरण - तान-अनुतान की समस्या चौथा सप्ताह - ध्वनि प्रभाव और निःशब्दता - दृश्य-श्रव्य माध्यमों में भाषा की प्रकृति - आंगिक और वाचिक अभिव्यक्ति - रचनात्मक लेखन पांचवां सप्ताह - रेडियो एकरिंग - रेडियो समाचार लेखन - रेडियो वार्ता - रेडियो साक्षात्कार छठा सप्ताह - रेडियो परिचर्चा - रेडियो रूपक - रेडियो नाटक के लिए संवाद लेखन सातवां सप्ताह - सामुदायिक रेडियो पर शैक्षिक व सामाजिक सरोकार सम्बन्धी विषयों का लेखन - एफ़. एम. प्रसारण के लिए लेखन - रेडियो विज्ञापन लेखन - रेडियो कमेंट्री आठवां सप्ताह - जनसंचार माध्यमों में क्षेत्रीय भाषाओं में लेखन - टेलीविजन-लेखन: एक परिचय - टेलीविजन समाचार - टेलीविजन साक्षात्कार नवां सप्ताह - टेलीविजन चर्चा एवं परिचर्चा - शैक्षिक टेलीविज़न का लेखन - टेलीविजन धारावाहिक दसवां सप्ताह - वृत्तचित्र लेखन - डिजिटल मीडिया स्टोरी टेलिंग - सिनेमाई भाषा: एक परिचय ग्यारहवां सप्ताह - सिनेमा की कथा संरचना - पटकथा लेखन - सिनेमा में संवादों का लेखन बारहवां सप्ताह - हिन्दी फिल्मों में संवादों की अभिव्यक्ति - फिल्म-समीक्षा लेखन - प्रमुख फिल्मों की समीक्षा: हिन्दी सिनेमा की भाषा और संवेदना के आधार पर